शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

जिंदगी
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जो हो गया, वो हो गया, अब छोड़ ऐ जिंदगी,
आते है सच की राह में, कई मोड़ ऐ जिंदगी .....

ना उलझ परछाइयों में, ना देख दूर के दरिया,
लगी है प्यास तो, मेहनत का गमछा निचोड़ ऐ जिंदगी .....

ना बैठ हाथ पे हाथ रखे, उठ फिर से रफ़्तार ले,
सोये हुए सपनो को, फिर से झिंझोड़ ऐ जिंदगी.....

नाकामियों की ज़द्द से, गर निकलना है तो फिर,
गुमनामियों की ये दीवारे, अब तोड़ ऐ जिंदगी .......!!


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