सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

हम प्रेम का प्रतीक हैं, सृष्टि की बनाई सुन्दर रीत हैं,
माना के मूक हैं हम, परन्तु, प्यार भरा इक गीत हैं ...

गर हमसे ना कुछ सीखा तुमने, हमको भी गवां दोगे,
मिल-जुल के रहो, छोडो भेद-भाव, यही इंसान की जीत है ....!! 

रविवार, 17 फ़रवरी 2013

ऐ अश्को, सरेआम यूँ शर्मिन्दा ना करो,
मुझे रहम की बस्ती का, बाशिंदा ना करो..

मेरे टूटे दिल को, सहारे की दरकार नहीं,
बस, जो मर चुके सपने, उन्हें ज़िंदा ना करो...!! 
वाह-वाह तेरी कुदरत, ये कितने हसीं नज़ारे हैं,
ये दरिया, ये पहाड़, सब ही तो कितने प्यारे हैं..

सोच रही हूँ बैठी-बैठी, कब इंसान समझ पायेगा,
कर रहा बरबाद इसे, क्यूँ समझे ना तेरे इशारे हैं....!!

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

ज़रा सोचो, हम ना होते तो क्या होता, 
कौन तुम्हारी गंदगी, अपने सर पे ढोता..???

नाले के पास बसी, बस्ती का मैं बाशिंदा हूँ, 
तुमसे नहीं मैं तो, जिंदगी से भी शर्मिन्दा हूँ,
समझ नहीं आता मुझे, क्यूँकर मैं ज़िंदा हूँ ,
मैं नहीं होता तो कौन तुम्हारी हिकारत सहता ..

मुझे मेरे काम का नहीं कोई भी इनाम चाहिए,
बस जब तुम्हें मैं देखूँ, तो इक मुस्कान चाहिए ,
मेरे बच्चों को भी, सर पे छोटा सा मकान चाहिए,
काश मैं भी अपने बच्चों को पड़ा-लिखा कहता ..

बस इस सोच में रहता हूँ, ये समाज कब बदलेगा, 
मैं भी हूँ इंसान एक, ये बात कोई कब समझेगा,
कब तक मेरा बच्चा, तुम्हारे बच्चों की उतरन पहनेगा,
मुझे दया नहीं, भीख नहीं, बराबरी का मान तो देता ... 


ज़रा सोचो हम ना होते तो क्या होता .......??????????? ............. नैनी ग्रोवर 





सदियाँ बीतीं, अब तो बक्श मेरे गुनाह को, 
वादा रहा, अब प्यार ना करेंगे किसी से हम ..!! नैनी ग्रोवर 

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

माना के हादसों में पली है, मेरी मुंबई,
फिर भी फूलों सी महक देती है, मेरी मुंबई...

ना जाने कितने लोग आते हैं, पनाह लेने,
सबको सीने से लगा लेती है, मेरी मुंबई ...

खा कर आतंक के ज़ख़्म भी, अपने सीने पर, 
उसी रफ़्तार से चलती रहती है, मेरी मुंबई ...

थके-हारे चेहरों की, मुस्कान है ये, चौपाटी, 
रातों को जश्न बना देती है, मेरी मुंबई ..!!

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

ऐ रात तू मेरी प्यारी सखी, 
तनहा गुमसुम लगती है भली__

तुझमें मुझमें कोई फर्क नहीं, 
तू अर्श नहीं, मैं फर्श नहीं 
मेरे जैसी ही लगती है तू,
जब शाम हुई तो बिखर गई__

तू मांग ले मुझसे, दर्द कोई,
मैं मांग लूँ, तुझसे तन्हाई, 
तुझको भी दिन की आस नहीं,
मैं भी उस हद्द से गुज़र गई ___!!

बहुत हुआ दीवानपन, ऐ दिल अब तो होश कर,
इन बिलबिलाती हसरतों को, अश्कों से खामोश कर__

न मंजिल तेरी हैं वो, उनकी राह के पत्थर,
अब ढूँढ कोई वीराना, या जिंदगी को खानाबदोश कर __!!
हम उजड़ी बस्ती के बाशिंदे हैं, हमसे चमन का हाल ना पूछो,
हमें क्या खबर, बहारें कैसी होती हैं, गुनंचे कैसे खिलते हैं ____!!
ये कौन सी मंजिल है, ऐ दिले-नामुराद,
हर तरफ फ़कत, तन्हाई के सन्नाटे हैं -----!!

रविवार, 3 फ़रवरी 2013

अलफ़ाज़ उलझे-उलझे हैं, कलम थरथराने लगी,
जब से सोचा गजलों में ढालूँ, तेरी जफ़ाओं को...!!
कितने साल हो गए फ़ना, इस रफ्तारे-उम्र के,
हम महज़, तारीखों के, पन्ने पलटते रह गए ....!!
कल सुना था, दोस्तों के हाथों में है खंजर,
आज सुबह से, मेरी पीठ में है दर्द बहुत ..!!
बहुत यकीं था, ऐ अश्को, तुम्हारे ज़ब्त पे मुझे, 
पलकों पे आके तुमने, मुझे शर्मिन्दा कर डाला ...!!
सिसक-सिसक के जिंदगी, दुआ मांगती रही,
और हँस-हँस के तकदीर, घरोंदा उजाड़ती रही ......!! 
ये पाँव के बिलबिलाते छाले, मुझे चलने नहीं देते,
और खवाहिशें मंजिलों की, मुझे रुकने नहीं देंतीं .......!!

शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

सर ढकें तो पाँव उघड़ जाते हैं, पाँव ढकें तो सर नंगा होता है,
हाय री महंगाई तूने हमें, किस कदर शर्मिन्दा कर डाला ..!!
मैं पड़ लूँ कुरान, तू पड़ गीता, क्या फर्क नज़र कुछ आता है,
क्यूँ जुदा-जुदा रहें हम दोनों, क्या मज़हब यही सिखाता है ...!!
इसी समुन्दर में रहकर, हमें मोती चुनने हैं,
बैर होता है तूफानों से, तो हो जाने दो ......!!
ना जाने कितने दर्द समेटे, जिगर में अपने,
चलती जा रही है रात, दबे पाँव हौले-हौले...!!
ये कौन है, जो मेरे साथ साथ चलता है,
दिल की गलियों में, जिंदगी के फलसफे में ........!!
जिंदगी पे अभी उसकी, जफ़ाओं का खौफ तारी है,
संभल ऐ दिल, अभी तो ये इम्तहान जारी है ...........!!
हाय नसीब ना हुए, चार काँधे भी हमको,
हम फ़कत, इन्तजारे-यार के गुनहगार हो गए .....!!
जो भर देता दिल में मेरे, सुकून की छाँव,
वो दरख्त ना मिला, मुझे जिंदगी की राह में ....!!
जिंदगी
________

जो हो गया, वो हो गया, अब छोड़ ऐ जिंदगी,
आते है सच की राह में, कई मोड़ ऐ जिंदगी .....

ना उलझ परछाइयों में, ना देख दूर के दरिया,
लगी है प्यास तो, मेहनत का गमछा निचोड़ ऐ जिंदगी .....

ना बैठ हाथ पे हाथ रखे, उठ फिर से रफ़्तार ले,
सोये हुए सपनो को, फिर से झिंझोड़ ऐ जिंदगी.....

नाकामियों की ज़द्द से, गर निकलना है तो फिर,
गुमनामियों की ये दीवारे, अब तोड़ ऐ जिंदगी .......!!


बन के स्याही फ़ैल गया, हाय तक़दीर पे मेरी,
तेरी बेरुखी जी बह निकला, मेरी आँखों से काजल ....!!
मैं बेच तो दूँ ऐ दोस्त, मेरा दिल, मेरी वफ़ा,
बस इतना बता, तेरे प्यार का बाज़ार कहाँ है ...!!

दो कौड़ी के हो कर रह गए, तेरे दिल के ये जज़्बात,
चूल्हे में फूँक  ''नैनी'' अब ये किसी काम के नहीं ....!! 
कभी उजाला, कभी अन्धेरा, कभी तेज धूप है जिंदगी,
कभी सन्नाटा, कभी जश्ने-बहारा, कभी अंधकूप है जिंदगी ...!!
छीन ले मुझसे, मेरे होशो-हवास ऐ खुदा,
अब दीवानी हवा सी, बहना चाहती हूँ मैं ...!!
तुझ पर शक नहीं, पर क्या भरोसा है जिंदगी का,
बदल गया ग़र, नसीब का मौसम, तो क्या होगा ...!!
ख़्वाबों की गलियों से, आ बाहर निकल कर,
ऐ गर्दीशे-मौहब्बत, खबर हो गई ज़माने को...!!
इर्द-गिर्द मेरे दिल के, नए ख्व़ाब ना बुन,
ऐ जिंदगी समेट ले, उम्मीदों के धागे अपने...!!
हम पलकों से चुन लेंगे, तेरी राह के कांटे,
ऐ दोस्त, कभी मेरी झोंपड़ी की तरफ आ ...!!
ऐ शामे-अज़ल, चल एक नया काम किया जाए,
उसकी बेरुखी को, मजबूरी का नाम दिया जाए ..

लिख कर आखिरी ख़त, उसे सलाम किया जाए,
जा जी लेंगे हम तुझ बिन, ये पैगाम दिया जाए ..!! 
उससे हज़ार रंजिशे सहीं, वो इंसान बुरा नहीं,
आज मेरे ही रकीबों से, मेरा हाल पूछा उसने ....!!
घबराहट में अपने राज़, ना गैरों से बयाँ करना,
ये दुनियाँ तमाशाई है, सरेआम कर देगी....!!
जमीं से आसमां तलक, दर्द की दीवार कड़ी कर दी,
कुछ यूँ दिया मुझे इश्क़ ने, मेरे सवालों का जवाब ......!!
ऐ गर्दिशे-मौहब्बत, ये क्या कर दिया तूने,
दिल आबाद कर डाला, जिंदगी बरबाद कर डाली ...!!
वक़्त बदल गया है, नसीब नहीं बदले,
अपने बदल गए मगर, रकीब नहीं बदले..

आते रहे ज़मीं पे, यूँ तो नेक दिल बहुत,
मगर तेरे ऐ ज़माने, कभी सलीब नहीं बदले....!!
बच्चों की भूख, बार-बार सवाल करती है,
दिन भर घूमता है बाप, जमूरा बना हुआ...!!



अरमान कांटे बोते रहे, उम्मीद सींचती रही,
हाय जिंदगी हम तुझे, गुलशन ना कर सके....!!
मुझको ख़्वाबों में, नज़र आता है तेरा चेहरा,
मुझको नींदों में सताता है, तेरा चेहरा ..
बेखुदी में, जो इसे छूने की कोशिश मैं करूँ,
मेरे हाथों में, बिखर जाता है तेरा चेहरा ....!!
ये मंडी ही जज्बातों की, ज़मीरों की, वफाओं की, 
बेचते तो हैं बहुत मगर, खरीददार नहीं मिलता ...!!

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

मत बना मुझे कोई प्याला, कोई सुराही, 
मैं माटी हूँ, बस मुझे माटी ही रहने दे..

पहले बनूँ, फिर टूटूं, फिर माटी में मिल जाऊं,
यह चक्र बहुत असहाय है, बस मुझे माटी ही रहने दे ..


तू बनाएगा मुझे, अग्नि में तपाएगा मुझे, 
यह जग पल में मिटाएगा मुझे, बस मुझे माटी ही रहने दे ...!!
ना बने गर कोई बात, तो  हम कुछ यूँ करते हैं,
खरीद लेते हैं, रोज़ नया दर्द, और बयाँ करते हैं ...!!
वह जो एक ख़त तेरे नाम लिखा था, 
अभी तक उसके, अहसास नहीं बिखरे ..

कैसे मान लूँ, मैं हमनशीं, के गैर है तू, 
दिल से तेरी मौहब्बत के, रंग नहीं उतरे ...!! 
दामन मेरी गैरत का, कहीं ना छूट जाए हाथो से,
ऐ मौहब्बत माफ़ कर, हम तेरी गलियाँ छोड़ चले ....!! 
सन्नाटा है पसरा आँगन में,  हर एक दिल उदास-उदास सा है,
मौन हो गए हैं दर्द सारे, बस  खामोशियों का अहसास सा है ...!!
अब भी संभल जाएँ, अब भी समझ जाएँ,
कहीं ऐसा न हो, बूँद-बूँद जल को तरस जाएँ ..

कर चुके बर्बादी बहुत, कितना सहेगी यह धरती,
खोलो आँखें गौर से देखो, शायद आँखें बरस जाएँ ...!!