दर्द कलम के
सोमवार, 18 फ़रवरी 2013
हम प्रेम का प्रतीक हैं, सृष्टि की बनाई सुन्दर रीत हैं,
माना के मूक हैं हम, परन्तु, प्यार भरा इक गीत हैं ...
गर हमसे ना कुछ सीखा तुमने, हमको भी गवां दोगे,
मिल-जुल के रहो, छोडो भेद-भाव, यही इंसान की जीत है ....!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें