दर्द कलम के
मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013
हम उजड़ी बस्ती के बाशिंदे हैं, हमसे चमन का हाल ना पूछो,
हमें क्या खबर, बहारें कैसी होती हैं, गुनंचे कैसे खिलते हैं ____!!
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